पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ पर उत्तर प्रदेश के 4 कारीगरों को प्रतिष्ठित सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से ताला बनाने वाले, नाई, माला बनाने वाले और मोची सहित विभिन्न ट्रेडों में कारीगरों को एक नई पहचान मिली

उत्तर प्रदेश, 03 अक्टूबर, 2023: डिजिटल स्किल के माध्यम से मॉर्डन टूल में पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अठारह ट्रेड में शिल्पकारों को कुशल बनाने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू की है। केंद्र द्वारा फंडिड 13,000 करोड़ रुपये की यह योजना पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने, उद्यमशीलता टैलेंट को आगे बढ़ाने, स्थानीय उत्पादों को बाजार देने और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए लक्षित कौशल विकास इंटरवेंशन के माध्यम से 30 लाख कारीगरों को लाभान्वित करेगी।

इस अवसर पर बोलते हुए, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी नेदेश के रोजमर्रा के जीवन में विश्वकर्माओं के योगदान और महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने टिप्पणी की कि चाहे टेक्नोलॉजी कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले, विश्वकर्मा समाज में हमेशा महत्वपूर्ण बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि विश्वकर्माओं को मान्यता दी जाये और उनका सहयोग किया जाये। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में बड़ी कंपनियाँ अपना काम छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं। आउटसोर्स का यह कार्य हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिलना चाहिए और वे ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनें, हम इसके लिए काम कर रहे हैं। इसलिए यह योजना विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है।

योजना के तहत, पात्र लाभार्थियों को बायोमेट्रिक-आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके कॉमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से निःशुल्क पंजीकृत किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी, साथ ही कौशल उन्नयन जिसमें बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण और 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन शामिल होगा। इसके अलावा, डिजिटल लेनदेन और मार्केटिंग सपोर्ट के लिए प्रोत्साहन के अलावा, 5% की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक कोलैटरल फ्री क्रेडिट सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रसिद्ध विश्वकर्माओं में से, उत्तर प्रदेश राज्य से संबंधित चार कारीगरों को उनकी पारंपरिक विरासत को बनाए रखने के लिए सम्मानित किया गया और पारंपरिक शिल्प कौशल को संरक्षित करने में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए प्रतिष्ठित सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया

नारायण सैनी

उत्तर प्रदेश के वृन्दावन के रहने वाले विश्वकर्मा नारायण सैनी की कहानी मजबूत इरादों और दृढ़-संकल्प का प्रमाण है। बड़े होते हुए, उन्होंने अपनी दादी को समर्पण और भक्तिभाव के साथ मालाएँ बुनते हुए देखा, जिसने उन्हें उस शिल्प को सीखने के लिए प्रेरित किया जो पीढ़ियों से उनके परिवार का हिस्सा रहा है।

माला बनाने का गहरा सांस्कृतिक महत्व है, विशेष रूप से वृन्दावन जैसे क्षेत्रों में, जहां यह रचनात्मकता और आध्यात्मिकता को सहजता से जोड़ता है। यह पारंपरिक शिल्प को संरक्षित करने और समकालीन संदर्भों में उन्हें बढ़ावा देने के बीच एक ब्रिज के रूप में कार्य करता है। यह पीएम विश्वकर्मा योजना के उद्देश्य के साथ सहजता से मेल खाता है, जॉब की संभावनाओं को बढ़ाता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में योगदान देता है।

माला बनाने की कला में महारत हासिल करने की नारायण की यात्रा बहुत सहज नहीं थी। इसमें सटीकता और विस्तार पर ध्यान देने के साथ एक धागे पर गांठें लगाने और फूलों को पिरोने के पेचिदा स्किल्स को पूरा करने के लिए वर्षों के कठिन परिश्रम और समर्पण की आवश्यकता थी। पवित्र प्रतीकों, सौंदर्यपूर्ण रूप से मनभावन डिज़ाइनों और वाइब्रेंट फूलों के चयन के प्रति उनकी पारखी नजर उन्हें अपने साथियों से अलग करती है। इस असाधारण प्रतिभा ने उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से एक नई पहचान दिलाई।

नारायण का दृढ़ विश्वास है कि माला बनाना एक कठिन लेकिन पवित्र कार्य है जो सदियों से संस्कृति और परंपरा को समृद्ध करने की शक्ति रखता है। उनके लिए, पीएम विश्वकर्मा योजना एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करती है, जो उन्हें माला बनाने की जटिलताओं को गहराई से जानने का अवसर देती है। उन्हें विश्वास है कि यह योजना उन्हें माला बनाने की बारीकियाँ सीखने, मॉर्डन टूल्स तक पहुंच प्रदान करने, नेटवर्किंग के अवसर बनाने और संभावित खरीदारों से जुड़ने में सशक्त बनाएगी।

मोहम्मद मौसम

मोहम्मद मौसम उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। मोहम्मद की जर्नी एक स्किल्ड शूमेकर से शुरू होती है। पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के दौरान मोहम्मद को उनकी उत्कृष्ट शिल्प कौशल के लिए एक नई पहचान मिली। उनकी कहानी निश्चित रूप से हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। मोहम्मद को छोटी सी उम्र में ही जूते काटने, सिलाई करने और डिजाइन करने का जुनून था। इस जुनून को ऊंचाइयों तक ले जाने में उनके गुरु ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कारण उन्हें अपने सपने पूरे करने की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिला। गुरु से मिले प्रशिक्षण ने न केवल उनके कौशल को निखारा बल्कि उनकी तकनीकी विशेषज्ञता को भी गहरा किया। प्रशिक्षण ने उनकी उद्यमशीलता की भावना को नया बल दिया और उद्योग के बारे में उनकी समझ को बढ़ाया।

आरामदायक, वाइब्रेंट और सुन्दर जूतों को सावधानीपूर्वक डिजाइन करने की मोहम्मद की क्षमता उनकी शिल्प कौशल की आधारशिला बन गई। उनका उद्देश्य वैश्विक मंच पर सस्टेनेबल डिजाइनों का प्रतिनिधित्व करना है।

इस आकांक्षा ने उन्हें हमेशा अपनी प्रतिभा दिखाने, वैल्यूबल नेटवर्किंग कनेक्शन बनाने, नौकरी की संभावनाएं पैदा करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के अवसरों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। उनका दृढ़ विश्वास है कि हाथ से बने जूते कई लाभ प्रदान करते हैं जिनसे बहुत से लोग अनजान हैं। फलस्वरूप, उन्होंने अपने व्यवसाय की पेशकशों में विविधता लाने, तकनीकी रूप से उन्नत विनिर्माण मशीनों को शामिल करने, नवीन जूते डिजाइन करने, तकनीकी कौशल हासिल करने और वित्तीय सहायता सुरक्षित करने की आवश्यकता को पहचाना।

पारंपरिक संस्कृति के साथ इनोवेशन को अपनाने के मोहम्मद के व्यापक विज़न ने उन्हें माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से नई पहचान दिलाई। इसके अलावा, पीएम विश्वकर्मा योजना विशेष रूप से फंडिंग के संदर्भ में उनकी चुनौतियों का एक व्यापक समाधान प्रस्तुत करती है। यह योजनाउनके व्यवसाय का विस्तार करने में मदद करेगी। इसके साथ ही यह कौशल और ऋण प्रदान करके वन-स्टॉप समाधान प्रदान करेगी जिससे बड़े उद्देश्य के साथ राष्ट्र-निर्माण में योगदान दिया जा सकेगा

रुक्मिणी शर्मा

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की रहने वाली रुक्मिणी शर्मा ने छोटी उम्र से ही ताला बनाने की एक उल्लेखनीय यात्रा शुरू की। पारंपरिक रूप से यह व्यवसाय पुरुषों का माना जाता है। पीएम विश्वकर्मा योजना की बदौलत, अब उन्हें अपने व्यवसाय को एक बड़े प्लेटफॉर्म पर विस्तारित करने और अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिला है। रुक्मिणी सिर्फ़ ताला ही नहीं बनाती है बल्कि वह एक आविष्कारक है जो सटीकता और कौशल के साथ अद्भुत जटिलताओं के ताले आसानी से बनाती है। प्रत्येक शिल्प में अप्रेंटिसशिप की आवश्यकता होती है, और उन्होंने अपने पति और ससुर से प्रेरणा ली और अंततः अपने जुनून को अपने पेशे में बदल दिया।

अलीगढ़ हस्तनिर्मित तालों के हब के रूप में प्रसिद्ध हैरुक्मिणी जैसे कारीगर कस्टमर की विशिष्ट आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुरूप मजबूत, लागत प्रभावी और अनुकूलित उत्पाद तैयार करने में सबसे आगे हैं। उन्होंने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक कचरे को कम करने के सरकार के विज़न के अनुरूप, सुरक्षित और मजबूत लॉक डिज़ाइन बनाने के लिए अपने कौशल को निखारा।

ताले के डिजाइन, मैकेनिज्म और तकनीकों को समझने के लिए रुक्मिणी की निरंतर खोज सफल रही जब उन्हें पीएम विश्वतकर्मा योजना के शुभारंभ के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से पहचान और मान्यता मिली।

वह पीएम विश्वकर्मा योजना की परिवर्तनकारी क्षमता में दृढ़ता से विश्वास करती हैं। रुक्मिणी इस योजना को अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने, मजबूत डिजाइनों को बढ़ावा देने, नौकरी के अवसर पैदा करने और स्थानीय कारीगरों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण टूल्स के रूप में देखती है। यह योजना रुक्मिणी जैसी महिला उद्यमियों को उनके स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा देने और भारत को आत्मनिर्भरबनाने के विज़न को प्राप्त करने में लॉन्ग-टर्म पार्टनर बनाने में सशक्त बना रही है।

नेहा शर्मा

विपरीत परिस्थितियों में अपनी अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़-संकल्प के माध्यम से नेहा ने धैर्य का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनके पिता उनके चुने हुए करियर पथ में उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा और गुरु हैं। उनका सपना एक ब्यूटी पार्लर खोलने का है। ब्यूटी पार्लर साज-सज्जा और ब्यूटी सर्विस की एक विविध श्रृंख्ला है जो परंपरा को आधुनिकता के साथ सहजता से मिश्रित करता है।

आज ब्यूटी इंडस्ट्री बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रही है। यह देखकर नेहा बहुत उत्साहित है। आज इस इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी ने बहुत प्रगित कर ली है और कंज्यूमर की प्राथमिकताएँ बदल रही हैं। ब्यूटी इंडस्ट्री में वेस्टर्न ग्रूमिंग प्रैक्टिस का प्रभाव अधिक है। नेहा मार्केट में प्रासंगिक और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए टेक्निकल स्किल्स, कस्टमर सर्विस, प्रभावी कम्युनिकेशन और मॉर्डन टूल्स तक पहुंच में अपनी विशेषज्ञता को गहरा करने के महत्व से पूरी तरह वाकिफ हैं।

उनके पिता के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण अपस्किलिंग के प्रति उनका समर्पण अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। अब नेहा के पिता उन्हें अधिक सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए, उन्होंने अपने ज्ञान को व्यापक बनाने और ग्रुमिंग इंडस्ट्री की जटिलताओं में महारत हासिल करने के लिए एक सुरक्षित भविष्य के लिए प्रयास करते हुए एक परिवर्तनकारी यात्रा शुरू की है

पीएम विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ के दौरान, उनकी उल्लेखनीय यात्रा ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से उनकी शिल्प कौशल के लिए एक नई पहचान अर्जित की। यह दूरदर्शी योजना अब उसे अपनी व्यावसायिक पेशकशों का विस्तार करने, उद्यमशीलता टैलेंट को बढ़ावा देने, वैल्यूबल नेटवर्किंग अवसर स्थापित करने और आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने का अधिकार देती है, जिससे वह अपने सपनों को साकार कर सकती है।

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