टाटा मोटर्स की सीएसआर पहल से पिछले दशक में 60 लाख से अधिक लोग सकारात्मक रूप से प्रभावित हुए
~ वित्त वर्ष 23 के लिए 9वीं वार्षिक सीएसआर रिपोर्ट जारी ~
मुंबई: भारत की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनी, टाटा मोटर्स ने आज अपनी 9वीं वार्षिक सीएसआर रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य (आरोग्य), शिक्षा (विद्याधनम), नियोजनीयता (कौशल्य) और पर्यावरण (वसुधरा) के क्षेत्रों में भारत के सबसे गंभीर और सामाजिक चुनौतियों को हल करने की दिशा में व्यापक प्रयासों पर रोशनी डाली गई है। सामूहिक रूप से, इन प्रयासों से पिछले 10 वर्षों में 60 लाख से अधिक लोगों को लाभ पहुँचा है और इन लाभार्थियों का एक बड़ा हिस्सा हाशिये पर पड़े समुदायों से आता है।
वर्ष 2014 में, टाटा मोटर्स ने देश भर में अपनी सीएसआर पहलों को एक समान सुसंगत करने के लिए 4 स्तंभों पर आधारित एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया था। अलग-अलग इकाइयों और टीमों द्वारा प्रत्येक चिन्हित क्षेत्र में प्राप्त क्षमता, अनुभव और विशेषज्ञता की बदौलत स्पष्ट निर्धारित परिणामों और उल्लेखनीय उपलब्धियों के साथ फोकस्ड मध्यवर्तनों का निर्माण और कार्यान्वयन किया गया। सभी स्थानों में कार्यक्रमों में समरूपता, डिजिटल तकनीकों का लाभ, विविध हितधारकों के साथ साझेदारियों को बढ़ावा देना और समुदायों के साथ भरोसे की मजबूती के द्वारा कंपनी ने अनुमानित प्रभाव से काफी अधिक प्रभाव पैदा किया है।
इस अवसर पर टाटा मोटर्स के सीएसआर हेड, श्री विनोद कुलकर्णी ने कहा कि, “टाटा मोटर्स में हमारे सीएसआर संबंधी प्रयास समावेशी विकास को बढ़ावा देने और इस प्रकार राष्ट्र-निर्माण में योगदान करने के प्रति हमारी अडिग वचनबद्धता के साथ गहराई से जुड़े हैं। हमें अपने प्रयासों से लाखों लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालकर बहुत खुशी हो रही है। असल में, सीएसआर से सम्बंधित हमारे अनेक विचार और कार्यक्रम में से अनेक विशाल परियोजनायें हो गई हैं, जो सामुदायिक विकास के लिए मॉडल के रूप में अनुकरणीय हैं। ‘मोर फॉर लेस फॉर मोर’ के अभिनव दृष्टिकोण का प्रयोग करके हमने अपनी आकांक्षाओं और उपलब्ध संसाधनों के बीच अंतर को कम किया है और अनगिनत परियोजनाओं के लिए अखिल-भारतीय स्तर हासिल किया है। अपने सीएसआर एजेंडा को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता अडिग है, जैसा कि हम हम एक ज्यादा समावेशी, उचित और सतत् भारत के निर्माण के लिए प्रयास करते हैं। अपने वित्तीय और मानव संसाधनों का सावधानी तथा प्रभावकारी ढंग से प्रयोग करते हुए हम हर गुजरते साल के साथ प्रगितिशील रूप से शानदार प्रभाव उत्पन्न करने के आकांक्षी हैं।”
नीचे स्वास्थ्य, शिक्षा, नियोजनीयता, और पर्यावरण के क्षेत्रों में कंपनी की चुनिन्दा वृहत् परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है, जिनसे पिछले दस वर्षों में कन्वर्जेंस, पैमाना और पहुँच के मामले में महत्वपूर्ण प्रभाव उत्पन्न हुआ है।
समुदाय-आधारित मध्यवर्तन के द्वारा कुपोषण पर कारवाई
टाटा मोटर्स ने बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। संस्थागत-आधारित चिकित्सीय दृष्टिकोण के बदले समुदाय-आधारित स्वास्थ्य हस्तक्षेप पर फोकस करने से कंपनी को एक स्थायी प्रभाव पैदा करने में सफलता मिली है। लक्षित राज्यों में से कुछ में बेहद गंभीर रूप से कुपोषित से लेकर मध्यम गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की बड़ी संख्या होने के बावजूद कंपनी ने पिछले दशक में कुपोषित बच्चों में से 91% बच्चों को कुपोषण से मुक्त करके स्वस्थ बनाने में सफलता हासिल की है।
शीघ्र पहचान और देखभाल से कुष्ठ रोगियों का सशक्तिकरण
टाटा मोटर्स कुष्ठरोग (लेप्रोसी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा प्रभावित व्यक्तियों को शीघ्र पहचान और देखभाल प्रदान करने में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। वार्षिक घर-घर जागरूकता अभियानों के माध्यम से कंपनी ने दुर्गम गाँवों में हज़ारों घरों की जाँच करके 4,000 कुष्ठरोगियों की पहचान तथा उपचार किया है। कुष्ठरोग से ज्यादा प्रभावित झारखण्ड राज्य में कंपनी के समुदाय-आधारित कुष्ठ कार्यक्रम इस रोग के उन्मूलन के लिए देश में इस तरह की अभूतपूर्व पहल है।
डिजिटल सशक्तिकरण से शैक्षणिक कमी पूरी करना
टाटा मोटर्स का प्रमुख रिमोट लर्निंग प्रोग्राम, इनेबल से 550 से अधिक जवाहर नवोदय विद्यालयों के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स को उच्च गुणवत्ता के इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में दाखिले के लिए संसाधन तथा मार्गदर्शन प्राप्त हुए हैं। पिछले दशक में इस प्रोग्राम से सुविधाहीन पृष्ठभूमि के 20,000 से अधिक आकांक्षियों को लाभ पहुँचा है। उनमें से अनेक को आईआईटी, एआईआईएमएस जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों तथा सरकारी इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों में डिजिटल और व्यक्तिगत विधियों का प्रयोग करके कक्षा 9 और कक्षा 10 के स्टूडेंट्स के लिए सपोर्ट क्लासेस संचालित की जा रही हैं। स्टूडेंट्स की उत्तीर्णता दर और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार में यह दृष्टिकोण प्रभावकारी साबित हुआ है। उल्लेखनीय है कि इस मॉडल को महाराष्ट्र में ठाणे एवं बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधीन आने वाले लगभग 200 स्कूलों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा चुका है।
उज्ज्वल भविष्य के लिए बेरोजगार युवाओं को कुशल बनाना
टाटा मोटर्स की कौशल्य पहल का हिस्सा, लीप प्रोग्राम बेरोजगार युवाओं को विशेषकर ऑटोमोटिव पाठ्यक्रमों में कुशल बनाने और कार्यबल में उनके प्रवेश को आसान बनाने पर फोकस करता है। इस प्रोग्राम से लड़कियों को भी रूढ़िवादी बाधाओं को पार करने और आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में मदद मिली है। पिछले दशक के दौरान यह स्किलिंग पहल 2 संस्थानों से बढ़ते-बढ़ते 60 संस्थानों तक पहुँच गई है। लगभग 85% प्रशिक्षुओं को नौकरी मिल गई है जिनका औसत वेतन 15,000 से लेकर 18,000 रुपये प्रति माह तक है। इस प्रकार उनकी जिंदगी और आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
ग्रामीण और शहरी वनाच्छादन का जीर्णोद्धार और विस्तार
कंपनी का उद्देश्य सरकारी अभिमुखता को प्राथमिकता देते हुए कृषि-वानिकी पौधारोपण और अप्रयुक्त भूमि को खेती योग्य क्षेत्र में रूपांतरित करने के माध्यम से किसानों के लिए सतत आजीविकाओं का निर्माण करना है। इस दिशा में कंपनी ने करीब दस लाख पौधे लगाये हैं और उनमें से 90% से अधिक को जीवित रखने में सफलता प्राप्त की है। वित्त वर्ष 2024 में अतिरिक्त 10 लाख पौधे लगाने की योजना है।
वन विभाग (भारत सरकार) और टीईआरआरई पॉलिसी सेंटर के सहयोग से वर्जे (शहरी पुणे) में 16.5 हेक्टेयर में फैले महत्वपूर्ण वन-भूमि का पुनः वनीकरण किया गया है। इस पहल के फलस्वरूप सूक्ष्म वास स्थान बने है जो विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीव-जंतुओं को सपोर्ट करते हैं। पिछले दशक के दौरान इस परियोजना का दायरा बढ़कर 200 एकड़ के क्षेत्र में विस्तृत हो गया है, जिससे शहरी वनाच्छादन के जीर्णोद्धार और जैव-विविधता के संरक्षण में मदद मिली है।
जल सुरक्षा
इस वर्ष, कंपनी ने 100 अमृत सरोवरों के निर्माण की महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की है। प्रत्येक सरोवर की क्षमता एक-एक करोड़ लीटर जल भंडारण की होगी। इससे पालघर जिले में 75 और पुणे एवं सतारा जिलों में 25 स्थानों में जल की उपलब्धता बढ़ेगी।