एबॅट का ‘प्रोजेक्ट क्षीरसागर‘: ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को सशक्त बनाकर स्थानीय दूध आपूर्ति को दे रहा है मजबूती
- ‘प्रोजेक्ट क्षीरसागर‘ का मकसद गांवों में दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों को एक मजबूत और टिकाऊ सप्लाई सिस्टम से जोड़ना है। इस पहल के तहत किसानों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और उन्हें डेयरी फार्मिंग और अपने व्यवसाय को कुशलता से चलाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- अब तक इस पहल से 12,000 से ज्यादा डेयरी किसान और 51,000 दूध देने वाले पशु जुड़े हैं। इसका असर यह है कि किसानों की आय दोगुनी हो रही है और दूध उत्पादन में हर दिन 55% तक की बढ़ोतरी हो रही है।
- इस कार्यक्रम से जुड़े किसान एबॉट के न्यूट्रिशन उत्पादों के लिए भारत में इस्तेमाल होने वाले दूध पाउडर की 60% जरूरत पूरी करेंगे, जिससे उन लाखों परिवारों को फायदा होगा जो वैज्ञानिक पोषण पर निर्भर हैं।
मुंबई, भारत, 29 September 2025 – अच्छा पोषण हमेशा गुणवत्तापूर्ण सामग्री से शुरू होता है। भारत में पोषण उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, वैश्विक हेल्थकेयर कंपनी एबॅट को उच्च गुणवत्ता वाले दूध की भरोसेमंद आपूर्ति की जरूरत थी। इसी के तहत एबॅट ने 2022 में अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन टेक्नोसर्व के साथ मिलकर ‘प्रोजेक्ट क्षीरसागर’ की शुरुआत की। यह एक साझा-लाभ वाली पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में डेयरी किसानों को सशक्त बनाकर कच्चे दूध की एक टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला तैयार करना है। आज एबॅट यह साझा कर रहा है कि यह पहल किस तरह भारतीय किसानों और उन परिवारों के जीवन में बदलाव ला रही है, जो एबॅट के न्यूट्रिशन उत्पादों पर निर्भर हैं।
‘प्रोजेक्ट क्षीरसागर’ को महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में लागू किया गया है। इसके तहत किसानों को बैंक खाता खोलने, रोज़गार के अवसरों से जुड़ने और वित्तीय साक्षरता व डेयरी फार्मिंग की बेहतर तकनीकों की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे अपना व्यवसाय बेहतर तरीके से चला सकें। यह पहल बीते एक दशक में भारत के डेयरी किसानों को सहयोग देने के एबॅट के प्रयासों की अगली कड़ी है।
एबॅट और टेक्नोसर्व मिलकर किसानों को दूध उत्पादन सुधारने, पशुओं को संतुलित आहार देने, सूखा जैसे हालातों से निपटने और गायों की बेहतर देखभाल करने में सहायता कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत 130 गांव-आधारित दूध संग्रह केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां दूध को ठंडा रखने की सुविधा मौजूद है। इससे न सिर्फ दूध की गुणवत्ता बनी रहती है, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है।
एबॅट न्यूट्रिशन बिजनेस इंडिया की मेडिकल और साइंटिफिक अफेयर्स डायरेक्टर डॉ. प्रीति ठाकोर ने कहा, “प्रोजेक्ट क्षीरसागर एबॅट की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके जरिए हम एक मजबूत और टिकाऊ कच्चे दूध की आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना चाहते हैं। यह पहल न सिर्फ किसानों के छोटे-छोटे पारिवारिक व्यवसायों को आगे बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर अवसर भी तैयार करती है। साथ ही, यह एबॅट को अपने पोषण उत्पादों के लिए स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाला दूध उपलब्ध कराने में भी मदद करती है। हमारी योजना है कि इस कार्यक्रम के तहत जुड़े किसानों से हमें 60% तक दूध पाउडर की जरूरत पूरी हो सके, जिससे न सिर्फ हमारे पोषण कारोबार को मजबूती मिलेगी, बल्कि उन परिवारों को भी लाभ होगा जो हमारे उत्पादों पर भरोसा करते हैं।”
अब तक एबॉट ने देशभर में 12,000 से अधिक डेयरी किसानों को ‘प्रोजेक्ट क्षीरसागर’ के तहत जोड़ा है, जिससे एक अधिक टिकाऊ और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला तैयार हो रही है। इस परियोजना का उद्देश्य 51,000 से अधिक दूध देने वाले पशुओं को लाभ पहुंचाना है। इसके तहत आधुनिक डेयरी प्रथाओं को अपनाया गया है, एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल में कमी लाई गई है और 4,000 से अधिक फार्मों में पशु देखभाल के मानकों में सुधार किया गया है। इस पहल के चलते पशु चिकित्सा पर होने वाले खर्चों में 60% की कमी आई है, जबकि दूध उत्पादन में प्रति दिन 55% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
टेक्नोसर्व इंडिया के कंट्री डायरेक्टर जयदीप दत्ता ने कहा, “यह पहल न केवल स्थानीय किसान समुदाय को लाभ देती है, बल्कि उन परिवारों की भी मदद करती है जो एबॉट के पोषण उत्पादों पर निर्भर हैं। मानकीकृत डेयरी प्रथाएं अपनाकर, भारतीय किसानों ने न सिर्फ दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार किया है, बल्कि अपनी आय को दोगुना किया है और मूल्यवान जानकारी भी हासिल की है।”
यह पहल भारत में एक मजबूत और टिकाऊ डेयरी आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। रणनीतिक सहयोग, प्रशिक्षण और लक्षित निवेश के ज़रिए एबॉट किसानों, पशुओं और उपभोक्ताओं के लिए एक लाभकारी कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रहा है और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।
